प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे बनाएं ? Private Limited Company Kaise Register Kare?

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जब हम पेपर में टीवी में बड़े-बड़े होर्डिंग से या किसी भी वेबसाइट पर जाते हैं और किसी कंपनी के बारे में पढ़ते हैं तो एक चीज हमारी आंखों के सामने से जरूर गुजरती है वह है Pvt.Ltd यानी प्राइवेट लिमिटेड मतलब उस ऑर्गेनाइजेशन या कंपनी का रजिस्ट्रेशन प्राइवेट लिमिटेड के तौर पर हुआ है इसका सीधा सा मतलब यही है कि अब कंपनी या ऑर्गनाइजेशन किसी की व्यक्तिगत संपत्ति है जहां निजी व्यक्तिगत स्टेट होल्डर उसके मालिक होते हैं आज दुनिया भर में स्टार्टअप का कल्चर बहुत बढ़ गया है और इंडिया में भी यह चलन जोरों पर है देशभर में लोग कुछ अपना करने की सोच रहे हैं जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं बिजनेस के इस नए इकोसिस्टम में बहुत तेजी आते जा रहे है और अलग-अलग तरह के बिजनेस रजिस्ट्रेशन जैसे प्रापर्टी लिमिटेड ,लायबिलिटी कंपनी और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की उपलब्धता बढ़ने लगी है

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या होती है

आसान भाषा में समझे कि क्या होती है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ज्वाइंट स्टॉक कंपनी होती है जो इंडियन कंपनी एक्ट 2013 के अंदर या किसी अन्य एक्ट के अनुसार इस्टैबलिश्ड की गई हो ,इस मॉडल में कंपनी के फाउंडर्स खुद अपनी इच्छा से कंपनी खड़ी करते हैं जिसका मिनिमम टर्न ओवर 100000 होता है प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए कम से कम 2 लोगों की जरूरत पड़ती है और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में अधिकतम 200 एंप्लॉय हो सकते हैं एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को अपने शेयर पब्लिक के बीच बेचने की परमिशन नहीं होती है अगर कोई कंपनी में यह सभी खासियत है तो उस कंपनी को अपने नाम के अंत में प्राइवेट लिमिटेड यूज करना पड़ता है

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की विशेषताएं

अब जानते हैं कि प्राइवेट लिमिटेड प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की विशेषताएं, अब आप जान गए हैं कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी होती क्या है अब उसके विशेषताओं पर भी जरा गौर कर लेते हैं एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में कंपनी के मेंबर या शेयर होल्डर के लायाबिलिटी लिमिटेड होती है इसीलिए मान लीजिए यदि कोई लॉस होता है तो कंपनी के मेंबर अपना शेयर बेचकर नुकसान की भरपाई का सकते हैं क्योंकि नुकसान होने पर भी  शेयर पर कोई रिस्क नहीं आता है कानून की नजर में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का अपना एक अस्तित्व होता है जिस वजह से इसके फाउंडिंग मेंबर की डेथ के बाद इसकी आईडेंटिटी बनी रहती है कंपनी के सदस्यों की मृत्यु हो जाने पर कंपनी दिवालिया हो जाने पर कंपनी हमेशा के लिए स्थाइत्व में रहेगी और जैसा कि हमने पहले भी बताया कि मिनिमम दो डायरेक्टर और 200 एंप्लॉय प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में हो सकते हैं

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी Vs पब्लिक लिमिटेड कंपनी

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के पदों की बात करें तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी खोलने की सबसे अच्छी बात यह है इसे सिर्फ दो लोग मिलकर शुरू कर सकते हैं वही एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी खोलने के लिए 7 लोगों की जरूरत पड़ती है
साथ ही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के अपने मेंबर इंडेक्सिंग करने की जरूरत नहीं पड़ती जैसे ईमेल आईडी ,फोन नंबर ,एड्रेस या शेयर की वैल्यू प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को अपने मेंबर्स डायरेक्टरी को लोन देने के लिए गवर्नमेंट से परमिशन नहीं लेनी पड़ती लेकिन पब्लिक लिमिटेड कंपनी में लोन देने के लिए गवर्नमेंट का अप्रूवल अनिवार्य होता है
प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में सैलरी और अपॉइंटमेंट पर किसी भी तरह की रिस्ट्रिक्शंस नहीं होती हैं और पब्लिक लिमिटेड कंपनी की तरह एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को अपना प्रोस्पेक्टर नहीं तैयार करना पड़ता है क्योंकि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी अपने शेयर पब्लिक को नहीं बेच सकती इसीलिए पब्लिक को अपने बारे में बताना जरूरी नहीं बनता
नॉलेज के लिए आप जान लीजिए कि प्रोस्पेक्टर्स वह डॉक्यूमेंट होता है जिसमें कंपनी के बारे में सारी इनफार्मेशन होती है जैसे कंपनी के डायरेक्टर कौन है ,कंपनी की प्रोफाइल क्या है, कंपनी में कितने पैसे लगे हैं और बाकी सारे बेसिक इंफॉर्मेशन

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे बनाएं

आइए जानते हैं कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे बनाएं अगर आप बिजनेस करने के लिए कोई कंपनी शुरू करना चाहते हैं तो आप कंपनी को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के तौर पर रजिस्टर करवा सकते हैं रजिस्ट्रेशन करवाते समय जिन चीजों का ध्यान रखना चाहिए वह हम आपको डिटेल में बता रहे हैं ताकि इन फ्यूचर जब भी आप रजिस्ट्रेशन करवाएं तो कोई भी गलती ना करें क्योंकि रजिस्ट्रेशन और डॉक्यूमेंटेशन में एक छोटी सी मिस्टेक से भी बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है तो चलिए जानते हैं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी शुरू करने के लिए कोन -कौन से महत्वपूर्ण नियम है जिन्हें आपको जान लेना चाहिए

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को चलाते हैं डायरेक्टर जी हां जब भी हम किसी हाईप्रोफाइल डिजिनेशन के बारे में सुनते हैं जैसे सीईओ ,फाउंडर या डायरेक्टर तो चीजें हमें बहुत पैसिनेटिंग सी लगती हैं लेकिन अगर आप अपना बिजनेस कर रहे हैं तो खुद की कंपनी में यह पद अपने नाम से जोड़ सकते हैं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाने के लिए मिनिमम 2 डायरेक्टर की जरूरत पड़ती है जिनमें एक आप खुद हो सकते हैं और दूसरा व्यक्ति आपका कोई फैमिली मेंबर या बिजनेस पार्टनर भी हो सकता है कंपनी के डायरेक्टर के तौर पर दो बातें आप बिल्कुल ध्यान रखें पहली बात यह ध्यान रखें कि हर डायरेक्टर का एक डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर होता है जोकि मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स से लेना पड़ता है दूसरी बात दोनों में से एक डायरेक्टर को इंडिया का नागरिक होना आवश्यक है
रजिस्ट्रेशन के लिए कंपनी का नाम भी जरूरी है यह बहुत बेसिक है किसी भी चीज का नाम उसकी पहचान होती है इसीलिए कंपनी इस्टैबलिश्ड करते हुए आपको कंपनी का एक नाम चुनना पड़ेगा फार्म भरते समय इन चीजों की जरूरत होग

कंपनी का नाम रखते हुए आपको बहुत ध्यान से सोचना होगा क्योंकि रजिस्टार ऑफिस में 5 से 6 नाम भेजने होते हैं क्योंकि एक नाम की दो कंपनियां रजिस्टर्ड नहीं हो सकती और आपकी कंपनी का नाम किसी दूसरी कंपनी के नाम से मेल भी नहीं होना चाहिए कंपनी के लिए एक रजिस्टर्ड ऑफिस ऐड्रेस ही होना चाहिए जी हां जब आप मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स के ऑफिस में रजिस्ट्रेशन के लिए एप्लीकेशन डालेंगे तब आपके प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के लिए एक रजिस्टर्ड ऑफिस ऐड्रेस भी देना पड़ता है ऑफिस एड्रेस इसीलिए देना जरूरी होता है ताकि अब बता पाए कि आपकी कंपनी काम कहां से कर रही है लोकेशन क्या है और लोग आपसे कहां आकर कम्युनिकेट करेंगे डॉक्यूमेंट कोरियर या लेटर डिस्पैच करने के लिए लीगल एड्रेस का होना तो जरूरी ही है।
डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट प्राइवेट -लिमिटेड कंपनी बनाने के लिए डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट भी देना पड़ता है डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट एक सर्टिफिकेट के बराबर होता है जो आपकी कंपनी की डिटेल प्रूफ ऑफ आइडेंटिटी होती है जिससे आप ऑनलाइन या इंटरनेट पर अपनी आइडेंटिटी साबित कर सकते हैं क्योंकि फिजिकल डाक्यूमेंट्स को हाथों से सिग्नेचर करते हैं लेकिन इसी डिजिटल डॉक्यूमेंट फॉर्म पर डिजिटल सिग्नेचर लगाना पड़ता है डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट यह बताता है कि यह बाहर से किया गया सिग्नेचर है और असली है

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करवाने के लिए डॉक्यूमेंट की जरूरत पड़ेगी पैन कार्ड और पासपोर्ट चाहिए इसके अलावा राशन कार्ड ,आधार कार्ड ,वोटर आईडी, ड्राइविंग लाइसेंस इनमें से कोई एक दिखाना पड़ेगा रेजिडेंशियल वेरिफिकेशन के लिए बैंक की स्टेटमेंट या फिर इलेक्ट्रिसिटी बिल का होना जरूरी है आप जहां भी ऑफिस खोल रहे हैं वहां पर रेंटल एग्रीमेंट और प्रॉपर्टी ओनर से ली गई एनओसी के साथ-साथ सेल डीड या प्रॉपर्टी डीलर का होना अनिवार्य है
Spicei प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करने के लिए मिनिस्ट्री आफ कॉरपोरेट अफेयर्स एसबीआई सिंपलीफाइड परफॉर्मा फॉर इनकॉरपोरेटिंग कंपनी इलेक्ट्रॉनिकली इंट्रोड्यूस किया है जिसके बारे में आप www.mca.gov.in पर डिटेल में पढ़ सकते हैं इस एप्लीकेशन को पढ़ते समय आप के चार उद्देश्य सॉल्व होंगे जैसे डायरेक्टर नंबर रिजर्वेशन ऑफ़ कंपनी, नेम न्यू कंपनी और एप्लीकेशन,साल 2015 के पहले तक कंपनी रजिस्टर करने के लिए कई अलग-अलग तरह के फॉर्म भरने होते थे पर अब इन्हें एक साथ मिला दिया गया है यानी अब काम आसान कर दिया गया है

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की रजिस्ट्रेशन फीस

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करवाने के लिए कई तरह के अलग अलग चार्जेस भी भरने पड़ते हैं जिनमें डिजिटल सिगनेचर सर्टिफिकेट के लिए ₹2000 डी आई एन डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर के लिए 1000 ₹2500 की स्टांप ड्यूटी और 500 से 1000 रुपए तक नोटरी फीस ,1200रुपए गवर्नमेंट की फीस तथा 18 परसेंट की जीएसटी और इन सब कामों को कराने के लिए लॉयर और अदर प्रोफेशनल इसमें लगभग ₹3हजार से लेकर 4 हजार तक चार्ज करते हैं इस प्रकार एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रजिस्टर कराने के लिए लगभग ₹15000 तक खर्च करने होते हैं अगर आप यह सारे डॉक्यूमेंट तैयार हैं तो यह आप सारे काम करवाने में हफ्ते 10 दिन का टाइम लगेगा मिनिस्ट्री ऑफ कॉर्पोरेट अफेयर्स में जब से सिंगल एप्लीकेशन फॉर्म इंट्रोड्यूस किया है तब से चीजें और भी आसान हो गई है

क्या है MOA एंड AAA

प्राइवेट लिमिटेड कंपनी चलाने के लिए मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन और आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन यह दोनों चीज जरूरी होती है moa की बात करें तो कंपनी रजिस्टर करवाते समय इसे सबमिट करना पड़ता है जिसमें बताया जाता है कि कंपनी के शेयर होल्डर के साथ कंपनी का रिलेशन कैसा है और कंपनी बनाने का मेन ऑब्जेक्टिव क्या है वही आर्टिकल्स ऑफ एसोसिएशन यह बताता है कि कंपनी किस तरह ऑपरेट होगी और इसका उद्देश्य क्या रहेगा यह दोनों डॉक्यूमेंट बनवाते समय किसी प्रोफेशनल से कंसल्ट करवा लेना जरूरी है और इन्हें बड़ी ही सावधानी से ड्राफ्ट करना होता है एक बार जब सर्टिफिकेट इन कॉरपोरेशन मिल जाता है तो आप कंपनी के नाम पर बिजनेस शुरू कर सकते है इतना याद रखिए कि शेयर कैपिटल हमेशा कंपनी के करंट अकाउंट में डिपाजिट होते रहते हैं कंपनी बनाने के साथ-साथ कुछ लीगल रिस्पांसिबिलिटीज भी आ जाती हैं जैसे कंपनी बनने के 1 महीने के अंदर चार्टेड अकाउंटेंट रखना पड़ता है जो कंपनी के लीगल इश्यूज पर कंपनी को एडवाइज कर सकें इसके साथ साथ साल के अंत में इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करना होता है और केवाईसी भी हर साल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को भरनी होती है

क्या प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बंद हो सकती है

इतना सब कुछ जानने के बाद अगला सवाल आता है कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बंद भी की जा सकती है इसका जवाब है हां लेकिन इसके लिए सभी बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स का सहमत होना जरूरी है इसके लिए कंपनी को एक वॉलंटरी वाइंडिंग प्रदर्शन जारी करना होता है जिसमें ढेर सारे सेट ऑफ रूल्स होते हैं इसके अलावा कंपनी के शेयर बेचकर एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को सेल आउट भी किया जा सकता है इसके अलावा कंपनी किसी धोखाधड़ी या फ्रॉड केस में दोषी पाई जाती है या किसी इनलीगल काम में उसकी इनरोलमेंट होती है तो कोर्ट कंपनी को बंद भी कर सकती है आनंद प्राइवेट लिमिटेड, हिंदुस्तान कोका कोला प्राइवेट लिमिटेड ,जैगवार एंड कंपनी प्राइवेट लिमिटेड ,मदर डेयरी प्राइवेट लिमिटेड ,पार्ले प्रोडक्ट्स पीवीटी एलटीडी इंडिया की प्रसिद्ध प्राइवेट लिमिटेड कम्पनियां है।

आज क्या सीखा

दोस्तों आज के आर्टिकल में हमने यह सीखा कि प्राइवेट लिमिटेड कंपनी क्या है, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी कैसे बनाएं, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की विशेषताएं और प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को किन स्थितियों में बंद किया जा सकता है साथ ही प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के रजिस्ट्रेशन में रिक्वायर डाक्यूमेंट एवं रजिस्ट्रेशन फीस के बारे में जाना उम्मीद करता हूं यह आर्टिकल अपको पसंद आया होगा आपके मन में उठ रहे प्रश्नो को कमेंट बाक्स में पूछ सकते हैं।